सार छंद सार छंद विधान : कुल 28 मात्रा, 16/12 पर यति, अंत में दो गुरु या 22, कुल चार चरण, [ क्रमागत दो - दो चरण तुकांत ] [1] मोह पाश मे फँसकर मैंने , सारो जन्म गवायो मिलो नही संतोष दिनहु में , सोवत चैन … Read more »
सार छंद सार छंद विधान : कुल 28 मात्रा, 16/12 पर यति, अंत में दो गुरु या 22, कुल चार चरण, [ क्रमागत दो - दो चरण तुकांत ] [1] मोह पाश मे फँसकर मैंने , सारो जन्म गवायो मिलो नही संतोष दिनहु में , सोवत चैन … Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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