सार छंद
सार छंद विधान :
कुल 28 मात्रा, 16/12 पर यति, अंत में दो गुरु या 22,
कुल चार चरण, [ क्रमागत दो - दो चरण तुकांत ]
[1]
मोह पाश मे फँसकर मैंने, सारो जन्म गवायो
मिलो नही संतोष दिनहु में, सोवत चैन न आयो
भूख प्यास सब भूल गयो मै, तन पीड़ा बिसरायो
[2]
मोर मुकुट सिर कानन झुमका, गल मुतियन की माला
अधर गुलाबी माथे टीका, रूप अनूप निराला
पुष्प एक मुरली दूजे कर, धारे यशुमति लाला
केसरिया परिधान पहन के, बैठे है गोपाला
अधर गुलाबी माथे टीका, रूप अनूप निराला
पुष्प एक मुरली दूजे कर, धारे यशुमति लाला
केसरिया परिधान पहन के, बैठे है गोपाला
सार छंद विधान |
✍नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष"
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