मनमनोरम छंद रावण उवाच : देख मेरी दृष्टि से तू जान पायेगा मुझे तब तारना है कुल मुझे वह वक्त आयेगा चला अब हूँ कुशल शासक,पुजारी ईश का हूँ मैं अभी भी राम भव से तारने वापस न आएंगे कभी भी आस लेकर जानकी जपती रही है नाम जिन… Read more »
मनमनोरम छंद रावण उवाच : देख मेरी दृष्टि से तू जान पायेगा मुझे तब तारना है कुल मुझे वह वक्त आयेगा चला अब हूँ कुशल शासक,पुजारी ईश का हूँ मैं अभी भी राम भव से तारने वापस न आएंगे कभी भी आस लेकर जानकी जपती रही है नाम जिन… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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