छंद : मदन/रूपमाला विधान : 24 मात्रा, 14,10 पर यति, आदि और अंत में वाचिक भार 21 कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरणों में तुकांत देख उसको दिल मचलता, प्रेम है या भोग बोध मुझको इसका नहीं, कौनसा यह रोग देख लेता जब तक न मैं, चित्त को कब चैन चाँ… Read more »
छंद : मदन/रूपमाला विधान : 24 मात्रा, 14,10 पर यति, आदि और अंत में वाचिक भार 21 कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरणों में तुकांत देख उसको दिल मचलता, प्रेम है या भोग बोध मुझको इसका नहीं, कौनसा यह रोग देख लेता जब तक न मैं, चित्त को कब चैन चाँ… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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