*वसुमति छंद* [तगण,सगण] ------------------- तू ही जगत में, तू ही भगत में, है वास सब में, हूँ बाद जब मैं, ----------------- ------------------- आधार तुम ही, हो सार तुम ही, ये पार तुम ही, … Read more »
*वसुमति छंद* [तगण,सगण] ------------------- तू ही जगत में, तू ही भगत में, है वास सब में, हूँ बाद जब मैं, ----------------- ------------------- आधार तुम ही, हो सार तुम ही, ये पार तुम ही, … Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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