नेता का नहि धर्म है,नहि कोई ईमान ।
घोटालो के संग ये,करें झूठ का पान ।।
फ़िल्मी परदों पर बसे,बनकर सिध्द महान ।
बना वीडियो ट्वीट कर,बांटे अगणित ज्ञान ।।
बात कहूँ में लाख की,अब तो खुल के बोल ।
धीरे - धीरे खोल फिर,इन सबकी तू पोल ।।
लिक्खो चाहे नैकसो,राखो शिल्प प्रगाढ़ |
तुकबंदी में का लिखो,व्यर्थ लेख की बाढ़ ||
चहुँ दिशि करते मात की,पूजा सब नर-नार ।
कृपा करो,हे ! मात अब,पूजा कर स्वीकार ।।
0 Comments
एक टिप्पणी भेजें
If You Like This Post Please Write Us Through Comment Section
यदि आपको यह रचना पसन्द है तो कृपया टिप्पणी अवश्य करें ।