उत्कर्ष दोहावली [UTKARSH DOHAWALI) दोहा छंद विधान : तेरह ग्यारह मात्रा भार के चार चरण प्रत्येक ग्यारहवीं मात्रा वाला वर्ण लघु , समचरण तुकांत राधेश्याम कृपा करो, काटो भव के फंद तबहि मजा ब्रज बास कौ, और मिले आंनद गिरिधर तेरे ही … Read more »
उत्कर्ष दोहावली [UTKARSH DOHAWALI) दोहा छंद विधान : तेरह ग्यारह मात्रा भार के चार चरण प्रत्येक ग्यारहवीं मात्रा वाला वर्ण लघु , समचरण तुकांत राधेश्याम कृपा करो, काटो भव के फंद तबहि मजा ब्रज बास कौ, और मिले आंनद गिरिधर तेरे ही … Read more »
उत्कर्ष दोहावली [UTKARSH DOHAWALI] पेड़ हुये कंक्रीट के, उजड़े वन उद्यान सन्नाटा अब व्योम में, नहीं मधुर खग गान कण कण में वह व्याप्त है, हर कण उसका जान खोल नयन “उत्कर्ष” फिर, कर उसकी पहचान जन्म सफल करलो सभी, कर… Read more »
आजाऔ मिलबे सजन, जमना जी के पार तड़प रही हूँ विरह में, करके नैना चार कैसे आऊँ मैं प्रिया, जमना जी के पार घायल मोहे कर गए, तेरे नयन कटार तुम तौ घायल है गए, देख कोउ कौ रूप मैं बैरानिया हूँ बनी, तेरी जग के भूप मै… Read more »
उत्कर्ष दोहे ---------------- देख मुसीबत जप रहे,राम नाम अविराम । पहले ते जपते अगर,तो डर का क्या काम ।। राम नाम ही प्रीत है,राम नाम वैराग । राम किरण है भोर की,रे मानस मन जाग ।। नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” Read more »
गजमुख की करूँ वंदना,धर वाचा का ध्यान । पंचदेव गुरु देव जी ,रखो कलम का मान ।। पग वंदन गुरुदेव का,नित्य नवाऊँ शीश । ज्ञानदान तुम दीजिये,दो स्नेहाशीष ।। नमन तुम्हे माँ शारदे,नमन काव्य परिवार । नमन धरा यह पावनी,नमन करो स्वीकार ।। कण कण में वह व… Read more »
साजन तेरे देश की,है कैसी यह रीत । जित देखूँ में झांक कें,उते मिले बस प्रीत ।। सजनी मरुधर देश ये,है वीरो की खान । आपस में मिल जुल रहें,यहाँ राम रहमान ।। साजन तेरे देश के,अलग थलग है रंग । कहीँ बजत है दुंदुभी,कहीँ बजत है चंग ।। सजनी मेरा … Read more »
नेता का नहि धर्म है , नहि कोई ईमान । घोटालो के संग ये , करें झूठ का पान ।। फ़िल्मी परदों पर बसे , बनकर सिध्द महान । बना वीडियो ट्वीट कर , बांटे अगणित ज्ञान ।। बात कहूँ में लाख की , अब तो खुल … Read more »
===================== दो अक्टूबर उन्नीस की , थी चौथी जब साल । शारद घर पैदा हुये , वीर बहादुर , लाल ।। ===================== शहर उत्तर प्रदेश में , जनपद मुगल सराय । तात शारदा , मात वो … Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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