उत्कर्ष दोहे
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देख मुसीबत जप रहे,राम नाम अविराम ।
पहले ते जपते अगर,तो डर का क्या काम ।।
राम नाम ही प्रीत है,राम नाम वैराग ।
राम किरण है भोर की,रे मानस मन जाग ।।
नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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