मंजुभाषिणी छंद सविधान [manjubhashini chhand] Author:नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” 2/04/2017 01:12:00 pm छन्द : मंजुभाषिणी [सगण+जगण+सगण+जगण+गुरु] चल आ गये हम कहाँ,नही पता अब राह केशव हमे,तुही बता हम नेह के सुमन है,रहे खिले उतरे भवांबुधि परे,कृपा मिले __________ नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष" श्रोत्रिय निवास बयाना,राज• manjubhashini chhand
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