शौच खुले में नहिं जायेंगे ।
हम शौचालय बनवायेंगे ।।
अपनी सुरक्षा अपने हाथ ।
शौचालय की हो अब बात ।।
बूढी माँ नहि हो परेशान ।
शौचालय पर दो सब ध्यान ।।
सड़क किनारे स्वच्छ रहेंगे ।
निर्मल गाँव मित्र करेंगे ।।
सरकारी अनुदान है आया ।
शौचालय बनवाओ भाया ।।
बदबू गंदगी ना कोई रोगी ।
शौचालय घर घर में होगी ।।
रोग मुक्त नर नारि रहेंगे ।
शौच खुले में नही करेंगे ।।
माँ बहिना को दो सुविधायें ।
घर में शौचालय बनवाये ।।
अपना गांव स्वच्छ रखेंगे ।
शौच खुले में नही करेंगे ।।
सुविधाओं का लाभ उठायें ।
शौचालय घर - घर बनवायें ।।
अब तो बदला मित्र जमाना ।
शौच कार्य को बहार न जाना ।।
बहनों बहार शौच न जाओ ।
शौचालय घर में बनवाओ ।।
शौचालय का करो प्रयोग ।
नही गांव में हो फिर रोग ।।
रोग बिमारी दूर भगाओ ।
शौच लगे शौचालय जाओ ।।
शौचालय घर - घर बनवाओ ।
अपना गांव स्वच्छ बनाओ ।।
नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष”
श्रोत्रिय निवास बयाना (राज•)
+91 84 4008-4006
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