ग़ज़ल : वफ़ा कहां है ?

कवि नवीन श्रोत्रिय द्वारा सृजित नवीनतम ग़ज़ल वफ़ा कहां है

वफ़ा कहां है

आधुनिकता के इस दौर में जब कोई संगी, साथी अपनी उम्मीदों पर खरा न उतरे तब एक ऐसी ही गजल कवि मन से प्रस्फुटित हो आनंद का विषय बनती है, और सचेतनता की कामना लिए समाज को मनोरंजन के साथ साथ संदेश यही देती है

कवि नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा सृजित गजल वफ़ा कहां है?

वफ़ा कहाँ है, कहीं कसर है
नजर उठाओ, नज़र अगर है

भली मुहब्बत, कभी नहीं थी
भला यही है, बचा भँवर है

चले कहाँ, हो, नसीब लेकर
हो' अजनबी ये, उसे खबर है

वही शहर है, वही डगर है
मरे नहीं तो, बुरा ज़हर है

“नवीन” तुम पर, नया नहीं वो
समझ कहूँ या, कहूँ लचर है

- नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष

wafa-kahan-hai नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष की कविता वफ़ा कहां है?

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2 Comments


  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 28 दिसंबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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    उत्तर
    1. मेरे सृजन को अपने ब्लॉग द्वारा पाठकों तक प्रसारित करने के लिये हार्दिक धन्यवाद आ• पम्मी जी, एवं समस्त पंच लिंक परिवार

      हटाएं

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