छन्द : कुंडलिनी विरह सतावे पीव जी,लगी मिलन की प्यास | कद आओगे थे लिखो,बीत रहा मधुमास || बीत रहा मधुमास,चैन तुम बिन नहि आवे | तडपू पल छिन पीव,घणी ये विरह सतावे || - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष Read more »
छन्द : कुंडलिनी विरह सतावे पीव जी,लगी मिलन की प्यास | कद आओगे थे लिखो,बीत रहा मधुमास || बीत रहा मधुमास,चैन तुम बिन नहि आवे | तडपू पल छिन पीव,घणी ये विरह सतावे || - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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