छंद : मदिरा सवैया [भगण×7+1] रस : श्रृंगार चरण : 4 यति : 10/12 ------------------------------------------- नैन मिले जबसे उनसे,वह ही अँखियों पर छाय रही चैन नही दिन में हमकूँ, रजनी भर याद सताय रही प्रेम हुआ हमको सुनलो,मन अग्नि यही समझा… Read more »
छंद : मदिरा सवैया [भगण×7+1] रस : श्रृंगार चरण : 4 यति : 10/12 ------------------------------------------- नैन मिले जबसे उनसे,वह ही अँखियों पर छाय रही चैन नही दिन में हमकूँ, रजनी भर याद सताय रही प्रेम हुआ हमको सुनलो,मन अग्नि यही समझा… Read more »
मदिरा सवैया [madira Saviaya] स्नान करें मिल साथ सभी,जल निर्मल ये तटनी तट है बाँट ख़ुशी खुशहाल रहे,सब व्यर्थ बड़ा यह झंझट है वक्त रहा कब कौन सगा,तब वक्त मिला यह उद्भट है जीवन है जितना सबका,रह साथ जिये उनको रट है नवीन श्रोत्रिय "उत्कर्ष"… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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