प्रमिताक्षरा छंद विधान : सगण,जगण,सगण,सगण=12 (१) पहचान ध्येय, पथ,जीवन,को उस ओर मोड़ फिर तू मन को तज लोभ,द्वेष अरु मोह सभी भव ताल पार उतरे तब ही (२) यह मोह मित्र सबको छलता फँस मोहजाल,जीवन जलता कर जाप नित्य मन मोहन का यह सार एक इस … Read more »
प्रमिताक्षरा छंद विधान : सगण,जगण,सगण,सगण=12 (१) पहचान ध्येय, पथ,जीवन,को उस ओर मोड़ फिर तू मन को तज लोभ,द्वेष अरु मोह सभी भव ताल पार उतरे तब ही (२) यह मोह मित्र सबको छलता फँस मोहजाल,जीवन जलता कर जाप नित्य मन मोहन का यह सार एक इस … Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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