भुजंगप्रयात छंद [Bhujangprayat Chhand] विधान : यगण×4 कुल 12 वर्ण लगी आग देखो,जला प्रेम सारा बना आज बैरी,रहा भ्रात प्यारा कभी सोचता हूँ,दिखावा भला क्यों रहा जो हमारा,उसी ने छला क्यों (2) मिलो आप कान्हा,मिले… Read more »
भुजंगप्रयात छंद [Bhujangprayat Chhand] विधान : यगण×4 कुल 12 वर्ण लगी आग देखो,जला प्रेम सारा बना आज बैरी,रहा भ्रात प्यारा कभी सोचता हूँ,दिखावा भला क्यों रहा जो हमारा,उसी ने छला क्यों (2) मिलो आप कान्हा,मिले… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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