शंकर छंद [ Shanker Chhand ] शंकर छंद विधान : 16/10 अंत मे गुरु लघु क्रमशः दो - दो पंक्तियाँ समतुकांत दीन सुदामा की पुकार को, सुनो राधेश्याम आठ पहर जिसके अधरों पे, कृष्ण रहता नाम पाँच द्वार से भीख माँगकर, पूर्ण करता धर्म कैसा ये प्… Read more »
शंकर छंद [ Shanker Chhand ] शंकर छंद विधान : 16/10 अंत मे गुरु लघु क्रमशः दो - दो पंक्तियाँ समतुकांत दीन सुदामा की पुकार को, सुनो राधेश्याम आठ पहर जिसके अधरों पे, कृष्ण रहता नाम पाँच द्वार से भीख माँगकर, पूर्ण करता धर्म कैसा ये प्… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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