बसन्त (नई कविता) छाई दिल में उमंग,मन हुआ है प्रसन्न सब झूम रहे है,आया झूम के ये बसंत चारो तरफ हरियाली है, रुत ये खुशियों वाली है सब के चेहरे खिले हुए है, छाई होटों पे खुशहाली है हुआ पूर्ण समय ज्वलंत, हुआ सब कष्टो का अंत सबके चित हुए … Read more »
बसन्त (नई कविता) छाई दिल में उमंग,मन हुआ है प्रसन्न सब झूम रहे है,आया झूम के ये बसंत चारो तरफ हरियाली है, रुत ये खुशियों वाली है सब के चेहरे खिले हुए है, छाई होटों पे खुशहाली है हुआ पूर्ण समय ज्वलंत, हुआ सब कष्टो का अंत सबके चित हुए … Read more »
कैसे तुझको कवि में कह दूँ कैसे दूँ सम्मान रे छंद अलंकार का मर्म न जाने न जाने विधि विधान रे कैसे तुझको कवि में कह दूँ कैसे दूँ सम्मान रे काव्य के तू गुण दोष न जाने न काव्यशास्त्र का ज्ञान रे शब्दों की तू महत्ता न जाने … Read more »
मौत के डर से, क्यों? तुमने जीना छोड़ दिया, तू मेहनकश है,फिर रुख क्यों न मोड़ दिया, ये तो एक अटल सत्य है,आखिर होकर ही रहेगा, क्या आज,एक और सत्य ने,इंसान को तोड़ दिया , सुना था मैंने,इतिहास गवाह है,है ये वीरो की भूमि, उन वीर सपूतों ने,अच्छे-अच्छो को मरोड़ दिया, जीन… Read more »
मेरी जिंदगी मझदार में है , अब कैसे पार उतारू .... सोचता पल पल यही में , कैसे खुद को निकालूँ .... वक़्त भी कम है पड़ा अब , कौन वो जिसे पुकारू .... मेरी जिंदगी मझदार में ........... २ यहाँ वहां सब अपने लगते , झूठा मन… Read more »
बन आज़ाद परिंदा आज उड़ना चाह रहा है मेरा मन बन आज़ाद परिंदा आज उड़ना चाह रहा है मेरा मन उडूं वहां तक, जहाँ तलाक हो, कल्पनाओ का गगन बन आज़ाद परिंदा आज उड़ना चाह रहा है मेरा मन बंद आँखों से देखे बहुत, देखे नींदों में सुन्दर स्वप्न खुली आँखों स… Read more »
ग़ज़लें वो नहीं जो सिर्फ महफ़िल थाम लेती है ग़ज़लें वो भी नहीं, जो गम को उफान देती है ग़ज़लें वो है,जिनसे प्यार झलकता है,वफ़ा महकती है ग़ज़लें वो है जिनमे किस्सा - ऐ - दोस्ती है ग़ज़लें दिलजले का दिल जलाती है, जला है,जिनकी की यादों मे… Read more »
ऐ ! यार ऐ यार मेरे तेरी तारीफ में मैं क्या कहूँ चाँद चाँद है चाहे पूनम का हो या अमावस का तेरा नूर उसी तरह से फैला है मेरी जिंदगी में जैसे अन्धेरे को चीरती हुई कोई सूरज की रोशनी जिसके आगोश् में समस्त वातावरण रोशन हो तमहीन हो ज… Read more »
!! YAARA !! वो चाँद से ज्यादा शीतल है है चांदनी से ज्यादा प्यारा मोल में उसका जानू न है वो अनमोल सितारा दुःख बाँट लेता मेरे सारे भूल अपना दर्द सारा कुछ तो पुण्य किये है मैंने जो मुझे मिले है ऐसे यारा मेरे उन प्यारे मित्रो को समर्पित जो … Read more »
Krishna Bhajan मेरे मनमोहन सांवरिया अब तो आजा, ओ मेरे सांवरिया, नयन लगी प्यास रे सांवरिया, तू चित चोर है मेरा, मेरे दिल में बस तेरा बसेरा हरपल याद करू, तोहे मैं दिल से, तुही मेरा अब चैन सवेरा अब तो आजा, ओ बाँसुरिया वाले, नयन लगी … Read more »
Heart Broken सुनो ओ दिलजलों, आ कर हमसे मिलो, बहुत जले हो अकेले , साथ मेरे जलो , हम भी तनहा अकेले, तुम भी तन्हा रहे हो, अब यूँ ना तन्हा रहो, साथ हमारे चलो, ओ दिल जलो -साथ मेरे जलो -नवीन के श्रोत्रिय श्रोत्रिय निवा… Read more »
स्वाभिमान स्वाभिमान : SWABHIMAN कोई तो है जो मेरे देश का संगीत गुनगुनाता है, कोई तो है जो मुझे अपना सा नजर आता है , कोई तो है जो मुझे महापुरषो का इतिहास याद दिलाता है, कोई तो है जो स्वाभिमान जगाता है, न देश है ये अकबर-बाबर का, चलो कोई तो है अपना, जो… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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