लिए कंचन सी' काया वो,उतर आई नजारों में । करें वो बात बिन बोले,अकेले में इशारो में । बिना देखे कही पर भी,मिले नहिं चैन अब मुझको । गगन के चाँद जैसी वो,हसीं लगती हजारों मे । ===============≠=============== बसे हो इस कदर दिल में,भु… Read more »
(1) फिरो क्यों फेसबुक पर ढूँढते तुम प्यार को यारो । मिले सच्चा यहाँ फिर कब,सुनो सब इश्क के मारो । रही ये फ़ेसबुक जरिया,जुडो इक दूसरे से तुम । मगर मतलब ज़माना है,इसे भी जान लो प्यारो ।। (2) जमाना है बड़ा जालिम,समझ दिल को न पाता है । रखे यह स्वार्थवश रि… Read more »
आपका इंतज़ार ------------------------ बिठा कर हम निगाहों को,किये इन्त'जार बैठे है । मचलता है कि पागल मन,लिए हम प्यार बैठे है । तमन्ना इक हमारी तुम,रही कब दूसरी कोई । चली आओ सनम अब हम,हुए बेक'रार बैठे है । फ़ेसबुक और प्यार ------------------------… Read more »
मुक्तक माला प्रेम करो तज मोह , नही मन का यह गहना । निर्मल पावन प्रेम , गुणीजन का यह कहना । प्रेम बचे बस एक , नही जग में कुछ रहता । छोड़ यही यह दंभ , मिलो सबसे मन कहता । --------------------------------------------- … Read more »
मुक्तक माला प्रेम को मन में तुम अब जगह दीजिये नफरतो को न अब यूं हवा दीजिये मुश्किलो से मिला है इं सा का जनम इस जनम को न तुम यूं गवाँ दीजिये … Read more »
लिए कंचन सी ' काया वो , उतर आई नजारों में । करें वो बात बिन बोले , अकेले में इशारो में । बिना देखे कही पर भी , मिले ना चैन अब मुझको , गगन के चाँद जैसी वो , हसीं लगती हजारों मे । ===================== सभी करते म… Read more »
दोहा मुक्तक ---------------- जय श्री राधे श्याम जी,जय गुरुवर,गुणिधाम । पंचभूत, गृहदेव जी,करता तुम्हे प्रणाम । भूल हुई कोई अगर,क्षमा दान दो आप । कृपा रखो मुझ दीन पर,करो पूर्ण सब काम ।। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष श्रोत्रिय निवास बयाना Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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