गजल : हाल जैसे रहें,मुस्कराते रहो Gazal : Haal Jaise Rahe Muskrate Raho 212-212-212-212[फाइलुन×4] ---------------------------------------- हाल जैसे रहें, मुस्कराते रहो अश्क हैं कीमती, मत गिराते रहो --------------------------------… Read more »
गजल : हाल जैसे रहें,मुस्कराते रहो Gazal : Haal Jaise Rahe Muskrate Raho 212-212-212-212[फाइलुन×4] ---------------------------------------- हाल जैसे रहें, मुस्कराते रहो अश्क हैं कीमती, मत गिराते रहो --------------------------------… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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