मंदाक्रांता छंद
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[ विधान : मगण,भगण,नगण,तगण,तगण,गुरु,गुरु]
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मर्यादा मारग तज,चले लोग वो चाल देखो ।
माया के, मोहवश उनके जो रहे हाल देखो ।
हैं वो निर्भीक,सभय नही,ईश से घाल देखो ।
होना है अंत,समय बढ़ा जा रहा,काल देखो ।
नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष
Kavi Naveen Shrotriya Utkarsh |
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