कृष्ण सुनो अरदास मम, चाह तुम्हारा साथ लोभ, द्वेष उर से हरो, तारो भव से नाथ दारू कब घी सम रही, पी कर भरो न जोर बाद गलाती जिस्म ये, है बीमारी घोर अलग -अलग उपनाम है,अलग-अलग अंदाज करना मत मधुपान तुम,यह दुर्जन का काज कभी… Read more »
कृष्ण सुनो अरदास मम, चाह तुम्हारा साथ लोभ, द्वेष उर से हरो, तारो भव से नाथ दारू कब घी सम रही, पी कर भरो न जोर बाद गलाती जिस्म ये, है बीमारी घोर अलग -अलग उपनाम है,अलग-अलग अंदाज करना मत मधुपान तुम,यह दुर्जन का काज कभी… Read more »
पालीथिन से मर रही, गायें रोज़ हज़ार । बन्द करो उपयोग अब, नही जीव को मार ।। वर्षो तक गलता नही,नही नष्ट जो होय । दूषित पर्यावरण करे,नाम पॉलिथिन सोय ।। कपडे का थैला रखो,छोड़ पॉलिथिन आज । वर्षो तक गलता नही,दूषित करे समाज ।। मांग भरी … Read more »
DOHA CHHAND राधे - राधे हो रही, चहुँ दिशि देखो आज अजब गजब तेरी छटा, गोवर्धन गिरिराज राधे - राधे है कहूँ, है कान्हा का शोर श्याम रंग में है रँगे, बृज के चारो ओर हे ! केशव बृजराज सुन, बृज में भूखी गाय कौन… Read more »
जनक सुता माँ जानकी,अरु दशरत सुत राम । श्री चरणों मे आपके,मेरा नमन प्रणाम ।। - उत्कर्ष अज्ञानी ठहरा प्रभो,नहीं तनिक भी ज्ञान । क्षमा करो मम भूल हे,पवन पुत्र हनुमान ।। - उत्कर्ष ज्ञान दायनी भगवती,रखो कलम का मान । तुरत संभालो काज म… Read more »
===== उत्कर्ष कृत दोहे ==== गजमुख की कर वंदना,धर शारद का ध्यान । पञ्च देव सुमिरन करूँ,रखो कलम का मान ।। ==============≠==== ईश्वर के आशीष से,दूने हो दिन रात । बिन मांगे सबको मिले,मेरी यही सौगात ।। =================== अधर गुलाबी मधु भरे,तिरछे नैन कटार… Read more »
उत्कर्ष दोहावली राधा जपती कृष्ण को, कृष्ण राधिका नाम प्रीत निराली जग कहे, रही प्रीत निष्काम राम नाम ही प्रीत है, राम नाम वैराग राम किरण है भोर की, रे मानस मन जाग मन की मन में राखि ले,जब तक बने न काम निज कर्मन पर ध्यान… Read more »
Utkarsh poetry : उत्कर्ष कवितावली जन्म से मै नवीन हूँ ,लिखने से उत्कर्ष शहर बयाना मैं रहूँ,मिलजुल यहाँ सहर्ष - उत्कर्ष Utkarsh Dohawali Read more »
यूपी में चहुँ ओर ही,खिला कमल का फूल | साईकल,हाथी,हाथ को,गये लोग अब भूल || भले के सब ही साथी । गिरा हाथो से हाथी ।। सृजनकार : नवीन श्रोत्रिय “उत्कर्ष” यूपी चुनाव Read more »
★★मरुभूमि और महाराणा★★ पंद्रह सौ चालीसवाँ, कुम्भल राजस्थान जन्म हुआ परताप का, जो माटी की शान माता जीवत कँवर औ, तात उदय था नाम पाकर ऐसे वीर को, धन्य हुआ यह धाम पन्दरा सौ अड़सठ से, सत्तानवे के बीच अपने ओज प्रताप से, मेवाड़ दिया स… Read more »
!! उत्कर्ष दोहावली Utkarsh Dohawali !! कविता लेखन सब करो,साध शिल्प अरु छंद कविता खुद से बोलती, उपजे बहु आनंद कविता लिखना सीखते, बड़े जतन के साथ मुख को जोड़ा पैर से, धड़ से जोड़े हाथ धड़ से बाजू जोड़िये, मुख को ऊपर जोड़ … Read more »
!! उत्कर्ष दोहावली Utkarsh Dohawali !! गजमुख की कर वंदना, धर शारद का ध्यान पञ्च देव सुमिरन करूँ, रखो कलम का मान ईश्वर के आशीष से, दूने हो दिन रात बिन मांगे सबको मिले, मेरी यही सौगात अधर गुलाबी मधु भरे, तिरछे नैन कटार मुख … Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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