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इन्द्रवज्रा छंद [ INDRAVAJRA-CHHAND ]

इन्द्रवज्रा छंद विधान और उदहारण    छंद  विधान : - यह छंद उपेंद्रवज्रा छंद से मिलता जुलता ही छंद है अथवा इन दोनों ही छंदो में नाम मात्र का भेद है।  इस छंद में क्रमशः  तगण + तगण + जगण + गुरु + गुरु [२२१+२२१+१२१+२२ = १८ ] कुल चार चरण ​, १८ मात्राएँ प्रति पंक्ति , दो-दो प… Read more »

सोरठा छंद [SORTHA CHHAND]

सोरठा छंद सोरठा छंद  विधान :-   सोरठा छंद दोहा छंद  का विपरीत होता है, इसके भी दोहा के जैसे चार चरण व दो पंक्तियाँ होती हैं , विषम  चरणों में क्रमशः ग्यारह - ग्यारह  मात्राएँ एवं सम चरणों में क्रमशः तेरह - तेरह मात्रायें होती हैं। सोरठा छंद का उदाहरण :- भजो  राम   का  … Read more »

माहिया छंद

माहिया छंद टप्पे माहिया छंद / टप्पे महिया   तुझपे  मरते        जबसे   मैंने  जाना है जां  तेरे     ही     नां        ख्वाब     तिरे     देखे हम प्यार तुम्हे करते         इक  तुमको  पाना है कब आओगे मिलने         क्यों मतलब यारी को … Read more »

माहिया छंद - प्रसिद्ध पंजाबी टप्पे

छंद : माहिया MAHIYA CHHAND छंद परिचय :-   माहिया  छंद को टप्पे गीत नाम से भी जाना जाता है, इस छंद में संयोग और वियोग दोनों पक्षों का चित्रण किया जाता है एवं इस छंद को हास्य-परिहास  में भी लिखा जा सकता है, इस छंद की तीन पंक्तियाँ होती है जिनमे क्रमशः १२-१०-१२ मात्राय… Read more »

मत्तगयंद सवैया और अनुप्रास अलंकार का उदहारण

जय महाकाल  मत्तगयंद सवैया और अनुप्रास अलंकार का उदहारण (मत्तगयंद सवैया ) काल कराल कमाल करे, कब भक्त कपालि अकाल सतावै प्रेम, प्रभूति, पराक्रम औ, परिख्याति, परंजय, पौरुष पावै भाव भरी, मनसे, भगती, भय, भूत, भजा, भवभूत मिलावै ध्यान धरौ नित शंकर… Read more »

हरिपद छंद

हरिपद छंद   हरिपद छंद विधान :  कुल 27 मात्रायें, चार चरण  दो पंक्तियाँ समतुकांत, अंत में गुरु लघु आवश्यक उदाहरण :-  आधार छंद : हरिपद सोलह  ग्यारह   पर लिखने  हैं, चार चरण  दो  बंद  चौपाई  दोहा   का  मिश्रण, है    यह   हरिपद    छंद  सत्त… Read more »

उपजाति सवैया

उपजाति सवैया  विधान :  उपजाति सवैया क्रमशः दो  सवैया का  योग है , अथवा मिश्रित रूप है । जैसे इस सवैया में क्रमशः मत्तग्यन्द सवैया और सुंदरी सवैया का समावेश है । ताप परे नित तेज लग्यौ अब, फागुन ग्रीष्म ऋतू भर आईं मेल    मिलाप  करें  ऋतु दो, बचकेउ  नव… Read more »

उपेन्द्रवज्रा छंद

उपेंद्रवज्रा छंद  UPENDRAVJRA CHHAND [जतजगुगु] छंद विधान :  क्रमशः  जगण, तगण, जगण, दो गुरु न   साधना,  वंदन, मोहि  आवै तुम्हें  रिझाऊँ, विधि  को बतावै सुवासिनी   सिद्ध  सुकाज कीजै विवेक औ बुध्दि “नवीन” दीजै - नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष उपेन्… Read more »

पदपादाकुलक छंद

पदपादाकुलक छंद का विधान एवं उदहारण पदपादाकुलक  छंद  {PADPADAKULAK CHHAND} पदपादाकुलक   छंद विधान  :  –   पदपादाकुलक छंद  के चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में १६ मात्रायें होती हैं , छंद के आरम्भ में एक गुरु अथवा दो लघु (लघु-लघु) अनिवार्य होता है किन्तु त्रिक… Read more »

अब संहार जरूरी है

उ ठे धूल की जब जब आँधी, तो जलधार जरूरी है उठे  धूल  की  जब  जब आँधी, तो    जलधार   जरूरी है बहुत   हुआ  जुर्मों  को   सहना, अब    संहार   जरूरी  है आज  एक   नारी की  इज्ज़त, लुटती  रही  भीड़  भर में  खड़े रहे  कुछ  मौन  साध कर, कुछ  दुबके अपने घर में कुछ के  अ… Read more »

Ghnakshari Chhand

Ghnakshari Chhand   जाति -पाँति धर्म नहीं, काम भेड़ियों की कोई ऐसे  भेड़ियों  को अब, मिल     मार   डालिये सामाजिक  सौहार्द को, कमजोरी  मान   रहे ऐसे शन्तिदूतों को भी, घर   से    निकालिये करते  वे   नित  पाप, क्षमा  दान  देते   आप दानवीर   बनके    यूँ, … Read more »

मनहरण कवित्त [घनाक्षरी छंद] Manharan Kavitt [Ghnakshari Chhand ]

Manharan Kavitt Chhnad  घनाक्षरी छंद : मनहरण कवित्त रावण  के  जैसा कृत्य, करते   है  आज   वही जिनको  है भान नहीं, राम    के    प्रताप  का रोम  रोम  उनका तो, काम,  लोभ  जपता है मोह   परिपूर्ण   होके, नाश     करें    आपका भूल    बैठे  रावण ने, प… Read more »

सुखेलक छंद : SUKHELAK CHHAND

सुखेलक छंद  :  SUKHELAK CHHAND सुखेलक छंद  विधान :-   नगण,जगण,भगण,जगण,रगण,  7/8= 15 वर्ण जग  सब भूल के,अब  बुलाय राधिका सुध बुध खो बनी,सजन देख साधिका दरस  करा   मुझे,अब  सुजान  साँवरे हृदय  जला   रही,जगत  मोह  छाँव रे Sukhelak Chhnd Ka Vidhan Or Udahar… Read more »

चौपई/जयकारी छंद [ Chaupai-jaikari chand ]

चौपई/जयकारी छंद [ Chaupai-jaikari chand ] चौपई या जयकरी (15 मात्रा, अंत में 21 या गाल अनिवार्य, कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत  चौपाई के चरण मे अंतिम एक मात्रा को कम कर देने से चौपई या जयकरी छंद का चरण बन जाता है। स्मरण रखने के लिए संक्षेप में -  चौपाई - अ… Read more »

दानवीर कर्ण Daanveer Karn ]

गाथा : दानवीर कर्ण की (आधार छंद : आल्हा) Gatha Daanveer Karn Ki (Aalha Chhand) दानवीर ,  कुंती   का    बेटा,  कर्ण   नाम    जिसकी   पहचान कथा  सुनाऊँ  आज  उसी  की , श्रोताओ    तुम   देना  ध्यान शूरसेन   राजा  का  संगी, कुन्तिभोज   था    जिनका   नाम कोई  … Read more »

दिग्पाल छन्द : Digpal Chhand

दिग्पाल छन्द : Digpal Chhand   यह मात्रिक छन्द है।  यह  २४  मात्रिक  छन्द  है ।  चार चरण, १२/१२  मात्रा  पर  यति,  चरणान्त       गुरु  दो - दो  पंक्ति  समतुकान्त,  इस छन्द की मापनी निम्न है- २२१,२१२२,२२१,२१२२ Example : उदाहरण  Digpal Chhand Ka Vidhan Or Ud… Read more »

कनक मंजरी छन्द [ Kanak Manjari Chhand]

कनक मंजरी छन्द    कनक-मंजरी छन्द विधान :  यह वार्णिक छन्द है।  गुरु का अर्थ गुरु, लघु का अर्थ लघु [ चार लघु + ६ भगण (२११)+ १ गुरु ] = २३ वर्ण , चार  चरण, सभी समतुकान्त [ मापनी  ११११,२११,२११,२११, २११,२११,२११,२ ] उदाहरण :   अभी उपलब्ध नहीं  .......... … Read more »

शंकर छंद [ Shanker Chhand ]

शंकर छंद [ Shanker Chhand ]  शंकर छंद  विधान :  16/10 अंत मे गुरु लघु क्रमशः दो - दो पंक्तियाँ समतुकांत दीन सुदामा   की  पुकार को, सुनो     राधेश्याम आठ पहर  जिसके अधरों पे, कृष्ण  रहता नाम पाँच द्वार से  भीख  माँगकर, पूर्ण   करता   धर्म कैसा  ये   प्… Read more »

पञ्चचामर छन्द [Panchchamar Chhand]

छन्द : पञ्चचामर  विधान- 【 121 212 121 212 121 2】 चार चरण, क्रमशः दो-दो चरण समतुकांत --------------------------- उठो  !  बढ़ो,  रुको  नहीं, करो,  मरो,  डरो नहीं बिना      करे   तरे   नहीं,  बिना  करे नहीं कहीं पुकारती    तुम्हे    धरा, दिखा शरीर शक्ति को … Read more »

बिहारी छंद [ Bihari Chhand ]

छंद - बिहारी छंद [ Bihari Chhand ]  विधान -  इसके प्रत्येक चरण में 14+8=22 मात्राएँ होती हैं , 14,8 मात्रा पर यति होती है तथा 5,6,11,12,17,18 वीं मात्रा लघु 1 होती है । एकाक्ष,    महाकांत,   महादेव,   भगाली हे  ! नाथ  महाकाल  गुणोकीर्ति निराली मैं  मूर्ख  … Read more »