:::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: भीग रही है पलके मेरी सजन तेरी याद में, बैठी हूँ तन्हा अकेली तेरे इंतज़ार में, तू दूर गया तो तेरे में पास आ गयी- 2 क्या हाल है हमारा देख तेरे प्यार में, क्या हाल है हमरा सजन तेरे प्यार में •••••••••••••••••••••••… Read more »
एक सुन्दर सी नार,वाको रूपहु निखार । जाके लाल लाल होट, नयन कटारि है ।। बोले हँस हँस बोल,मन मेरो जाय डोल । है गोल गोल कपोल,सूरत की प्यारि है ।। मनभावन है बोली,और एकदम भोली । लागे अप्सरा हो जैसे,वो सबसे न्यारि है ।। लगा नैनो में कजरा,सज़ा बालों में गजरा ।… Read more »
🔸🔹होली🔹🔸 बज रहे चंग, भर मन में उमंग, नर नारी संग संग, देखो फाग आज खेल रहे, कान्हा डार रहो रंग, ले के ग्वाल बाल संग, वो तो करे हुड़दंग, देखो एक दूजे पे उड़ेल रहे, डारो राधाहु पे रंग, रंग दीनो अंग अंग, देख बृजवासी भये दंग, ऐसे जुगल को सदा हु मेल रहे । बरसे… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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