नारी: गजल [ Naari : Gazal ] बह्र : 212-212-212-212 भूख उसको भले पहले'खाती नहीं दुःख हों लाख ही पर जताती नहीं Bhookh Usko Bhale Pehle Khaati nahi Dukh Hon Lakh Hi Per Jatati nahi नित्य जल्दी जगे काम सारा करे बाद भी … Read more »
नारी: गजल [ Naari : Gazal ] बह्र : 212-212-212-212 भूख उसको भले पहले'खाती नहीं दुःख हों लाख ही पर जताती नहीं Bhookh Usko Bhale Pehle Khaati nahi Dukh Hon Lakh Hi Per Jatati nahi नित्य जल्दी जगे काम सारा करे बाद भी … Read more »
विदाई गीत [ Vidai Geet ] हरे हरे कांच की चूड़ी पहन के, दुल्हन पी के संग चली है पलकों में भर कर के आंसू, बेटी पिता से गले मिली है फूट - फूट के बिलख रही वो-२ बाबुल क्यों ये सजा मिली है, छोड़ चली क्यों घर आंगन कू, बचपन की जहाँ याद ब… Read more »
बेटियाँ - Betiyan [ तांटक छंद ] पीले हाथ किये बाबुल ने,अपनी बेटी ब्याही है अब तक तो कहलाई अपनी,अब वो हुई परायी है नीर झलकता है पलको से,बेला करुणा की आयी चली सासरे वह निज घर से,दुख की बदली है छायी मात-पिता, बहिना अरु भाई,फूट - फ… Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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