मुक्तक ------------ अगर चाहो मिले मंजिल,करो श्रम साधना पूरी । परिश्रम से मिले सबकुछ,भले हो भाग्य में दूरी । नही होता कभी हासिल,भरोसे भाग्य जो रहते । वही कहते मिले कैसे,बना जब भाग्य मज... Read more »
मुक्तक ------------ अगर चाहो मिले मंजिल,करो श्रम साधना पूरी । परिश्रम से मिले सबकुछ,भले हो भाग्य में दूरी । नही होता कभी हासिल,भरोसे भाग्य जो रहते । वही कहते मिले कैसे,बना जब भाग्य मज... Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
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