छं द : म हा शृं गा र प्रकृति सब झूम उठी है आज सुगंधित तन मन आँगन द्वार बिछाये पलकें बैठी देख रत्नगर्भा करने श्रृंगार पालना डाले द्रुम दल और पुष्प ने पहनाया परिधान झुलाती झूला … Read more »
छं द : म हा शृं गा र प्रकृति सब झूम उठी है आज सुगंधित तन मन आँगन द्वार बिछाये पलकें बैठी देख रत्नगर्भा करने श्रृंगार पालना डाले द्रुम दल और पुष्प ने पहनाया परिधान झुलाती झूला … Read more »
उत्कर्ष कवितावली का संचालन कवि / लेखक नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष द्वारा किया जा रहा है। नवीन श्रोत्रिय उत्कर्ष मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर वैर तहसील के गांव गोठरा के रहने वाले हैं।
अधिक जाने.... →
Follow Us
Stay updated via social channels